“मेरी अब मृत्यु हो चुकी है…”
महाकुंभ में 1500 लोगों ने जीवित ही किया अपना पिंडदान, बने नागा सन्यासी।
19 महिलाएं भी आज महाकुंभ में नागा सन्यासी बनने की दीक्षा लेंगी।
इन्हें गुरु परंपरा के अनुसार ही दीक्षा दी जाएगी।
इन सभी ने पंच दशनाम जूना अखाड़े से जुड़कर हर-हर महादेव के उद्घोष के बीच नागा सन्यासी बनने की दीक्षा ली।
जूना अखाड़े के रमता पंच के श्री महंत रामचंद्र गिरि, दूध पुरी, निरंजन भारती और मोहन गिरि की देखरेख में पहले सभी लोगों का मुंडन संस्कार किया गया।
इसके बाद सभी ने 108 बार गंगा के पवित्र जल में डुबकी लगाई।
इसके बाद गंगा पूजन किया औऱ अपना पिंडदान किया।
पिंडदान के बाद सभी ने एक स्वर में खुद को सांसारिक मोह माया से अलग करते हुए सांसारिक तौर पर खुद के मृत होने का ऐलान कर दिया।